Bkvarta

Month: January 2018

00 Weekly Murli

11/01/18

11/01/18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – तुम पीस स्थापन करने के निमित्त हो, इसलिए बहुत-बहुत पीस में रहना है, बुद्धि में रहे कि हम बाप के एडाप्टेड बच्चे आपस में भाई-बहन हैं” प्रश्न: पूरा सरेण्डर किसे कहेंगे, उनकी निशानी क्या होगी? उत्तर: पूरा सरेण्डर वह, जिनकी बुद्धि में रहता कि हम ईश्वरीय […]Read More

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10/01/18_

10/01/18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन ”मीठे बच्चे – साकार शरीर को याद करना भी भूत अभिमानी बनना है, क्योंकि शरीर 5 भूतों का है, तुम्हें तो देही-अभिमानी बन एक विदेही बाप को याद करना है” प्रश्न: सबसे सर्वोत्तम कार्य कौन सा है जो बाप ही करते हैं? उत्तर: सारी तमोप्रधान सृष्टि को सतोप्रधान सदा […]Read More

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09/01/18

09/01/18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – तुम इस पाठशाला में आये हो अपनी ऊंची तकदीर बनाने, तुम्हें निराकार बाप से पढ़कर राजाओं का राजा बनना है” प्रश्न: कई बच्चे हैं भाग्यशाली लेकिन बन जाते हैं दुर्भाग्यशाली कैसे? उत्तर: वह बच्चे भाग्यशाली हैं – जिन्हें कोई भी कर्मबन्धन नहीं है अर्थात् कर्म बन्धनमुक्त […]Read More

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08/01/18

08/01/18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – जितना-जितना दूसरों को ज्ञान सुनायेंगे उतना तुम्हारी बुद्धि में ज्ञान रिफाइन होता जायेगा, इसलिए सर्विस जरूर करनी है” प्रश्न: बाप के पास दो प्रकार के बच्चे कौन से हैं, उन दोनों में अन्तर क्या है? उत्तर: बाप के पास एक हैं लगे (सौतेले) बच्चे, दूसरे हैं […]Read More

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05/01/18

05/01/18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – यहाँ तुम्हें सुख-दु:ख, मान-अपमान.. सब सहन करना है, पुरानी दुनिया के सुखों से बुद्धि हटा देनी है, अपनी मत पर नहीं चलना है” प्रश्न: देवताई जन्म से भी यह जन्म बहुत अच्छा है, कैसे? उत्तर: इस जन्म में तुम बच्चे शिवबाबा के भण्डारे से खाते हो। […]Read More

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06/01/18

06/01/18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – अभी तुम्हारी काया बिल्कुल पुरानी हो गई है, बाप आये हैं तुम्हारी काया कल्प वृक्ष समान बनाने, तुम आधाकल्प के लिए अमर बनते हो” प्रश्न: इस वन्डरफुल नाटक में कौन सी बात बहुत ही समझने की है? उत्तर: इस नाटक में जो भी एक्टर्स (पार्टधारी) हैं […]Read More

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07/01/18

07/01/18 मधुबन “अव्यक्त-बापदादा” ओम् शान्ति 17-04-83 “कर्मातीत स्थिति के लिए समेटने और समाने की शक्तियों की आवश्यकता” आवाज से परे अपनी श्रेष्ठ स्थिति को अनुभव करते हो? वह श्रेष्ठ स्थिति सर्व व्यक्त आकर्षण से परे शक्तिशाली न्यारी और प्यारी स्थिति है। एक सेकण्ड भी इस श्रेष्ठ स्थिति में स्थित हो जाओ तो उसका प्रभाव सारा […]Read More

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04/01/18

04/01/18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – बाप उस्ताद ने तुम्हें मनुष्य से देवता बनने का हुनर सिखलाया है, तुम फिर श्रीमत पर औरों को भी देवता बनाने की सेवा करो” प्रश्न: अभी तुम बच्चे कौन सा श्रेष्ठ कर्म करते हो जिसका रिवाज भक्ति में भी चला आता है? उत्तर: तुम अभी श्रीमत […]Read More

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03/01/18

03/01/18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – बुद्धि का योग बाप से लगाते रहो तो लम्बी मुसाफिरी को सहज ही पार कर लेंगे” प्रश्न: बाप पर कुर्बान जाने के लिए किस बात का त्याग जरूरी है? उत्तर: देह-अभिमान का। देह-अभिमान आया तो मरा, व्यभिचारी हुआ इसलिए कुर्बान होने में बच्चों का हृदय विदीरण […]Read More

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02/01/18

02/01/18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – तुम्हारा यह मरजीवा जन्म है, तुम ईश्वर बाप से वर्सा ले रहे हो, तुम्हें बहुत बड़ी लाटरी मिली है, इसलिए अपार खुशी में रहना है” प्रश्न: अपने आपको कौन सी समझानी दो तो चिन्ता समाप्त हो जायेगी? गुस्सा चला जायेगा? उत्तर: हम ईश्वर की सन्तान हैं, […]Read More