तपस्वी मूर्त & दादीजी एक अद्वितीय अध्यात्मिक शिक्षिका – प्रकाशमणि दादीजी तपस्वी मूर्त – प्रकाशमणि दादीजी ऐसे तो दादीजी का नेचर सहज तपस्या का ही था . उनका मन सहज ही उपराम अवस्था में रहती थी ..जैसे आप सभी को पता है बरसात की दिनों में मधुबन में भट्टिया चलती है उसमें हर साल अस्पताल […]Read More
ब्रहमाकुमारीज राजयोग
राजयोग की यात्रा – स्वर्ग की और दौड़ राजयोग के निरंतर अभ्यास से मनुष्य को अनेक प्रकार की शक्तियाँ प्राप्त होती है | इन शक्तियों के द्वारा ही मनुष्य सांसारिक रुकावटों को पार कर्ता हुआआध्यात्मित्क मार्ग की और अग्रसर होता है | आज मनुष्य अनेक प्रकार के रोग, शोक, चिन्ता और परेशानियों से ग्रसित है […]Read More
राजयोग से प्राप्ति–अष्ट शक्तियां राज्योग के अभ्यास से, अर्थात मन का नाता परमपिता परमात्मा के साथ जोड़ने से, अविनाशी सुख-शांति कि प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही कई प्रकार की अध्यात्मिक शक्तियां भी आ जाती है इनमे से आठ मुख्य और बहुत ही महत्वपूर्ण हैIइनमे से एक है ” सिकोड़ने और फैलानी की शक्ति” जैसे कछुआ अपने अंगो […]Read More
राजयोग के स्तम्भ अथवा नियम वास्तव में ‘योग’ का अर्थ – ज्ञान के सागर, शान्ति के सागर, आनन्द के सागर, प्रेम के सागर, सर्व शक्तिवान, पतितपावन परमात्मा शिव के साथ आत्मा का सम्बन्ध जोड़ना है ताकि आत्मा को भी शान्ति, आनन्द, प्रेम, पवित्रता, शक्ति और दिव्यगुणों की विरासत प्राप्त हो |योग के अभ्यास के लिए […]Read More
राजयोग का आधार तथा विधि सम्पूर्ण स्थिति को प्राप्त करने के लिए और शीघ्र ही अध्यात्मिक में उन्नति प्राप्त करने के लिए मनुष्य को राजयोग के निरंतर अभ्यास की आवश्यकता है,अर्थात चलते फिरते और कार्य-व्यवहार करते हुए भी परमात्मा की स्मृति में स्थित होने को जरुरत है Iयद्यपि निरंतर योग के बहुत लाभ है I और निरंतर योग द्वारा […]Read More
जीवन कमल पुष्प समान कैसे बनायें ?स्नेह और सौहाद्र के प्रभाव के कारण आज मनुष्य को घर में घर-जैसा अनुभव नहीं होता I एक मामूली कारण से घर का पूरा वातावरण बिगड़ जाता है I अब मनुष्य की वफ़ादारी और विश्वास्पात्रता भी टिकाऊ और दृढ़ नहीं रहे I नैतिक मूल्य अपने स्तर से काफी गिर गए है I कार्यालय हो या व्यवसाय,घर हो या […]Read More
गीता-ज्ञान हिंसक युद्ध करने के लिए नहीं दिया गया था आज परमात्मा के दिव्य जन्म और “रथ” के स्वरुप को न जानने के कारण लोगो कि यह मान्यता दृढ़ है कि गीता-ज्ञान श्रीक्रष्ण ने अर्जुन के रथ एम् सवार होकर लड़ाई के मैदान में दिया आप ही सोचिये कि जबकि अहिंसा को धर्म का परम लक्षण माना […]Read More
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