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Month: April 2018

00 Weekly Murli

09-04-2018

09-04-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – माया के वश हो ईश्वरीय मत के विरूद्ध कोई कार्य नहीं करना, कभी भी बाप की निंदा नहीं कराना” प्रश्नः- माया भी बाप की मददगार है – कैसे? उत्तर:- जब देखती है कोई श्रीमत की अवज्ञा करते हैं, बाप का कहना नहीं मानते हैं, श्रीमत पर […]Read More

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08-04-18

08-04-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज: 17-05-83 मधुबन “संगमयुग – मौजों के नज़ारों का युग” आज बापदादा अपने छोटे बड़े बेफिकर बादशाहों को देख रहे हैं। संगमयुग पर ही इतनी बड़े ते बड़े बादशाहों की सभा लगती है। किसी भी युग में इतने बादशाहों की सभा नहीं होती है। इस समय ही बेफिकर बादशाहों की […]Read More

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07-04-2018

07-04-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे -एक दो को खुशी की खुराक खिलाते रहो, सदा खुशमौज़ में रहना और खुशी बांटना, यही है जबरदस्त खातिरी करना” प्रश्नः- अपनी ऊंची अवस्था बनाने की विधि क्या है? किन मुख्य बातों का ध्यान रखना है? उत्तर:- ऊंची अवस्था बनानी है तो 1- नष्टोमोहा बनने की हिम्मत […]Read More

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AV 18-03-08

18-03-08   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन ‘‘कारण शब्द को निवारण में परिवर्तन कर मास्टर मुक्तिदाता बनो, सबको बाप के संग का रंग लगाकर समान बनने की होली मनाओ’’ आज सर्व खज़ानों के मालिक बापदादा अपने चारों ओर के खज़ाने सम्पन्न बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चे के खज़ाने में कितने खज़ाने जमा हुए हैं, यह देख हर्षित हो […]Read More

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06-04-2018

06-04-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – मम्मा बाबा समान सर्विस करने के लिए बुद्धि को सतोप्रधान बनाओ। सतोप्रधान बुद्धि वाले ही धारणा कर दूसरों को करा सकते हैं” प्रश्नः- ऊंचे ते ऊंचा पुरुषार्थ कौन-सा है जो अभी तुम बच्चे कर रहे हो? उत्तर:- मात-पिता के तख्त को जीतना, यह है ऊंचे ते […]Read More

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05-04-2018

05-04-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – आपस में अविनाशी ज्ञान रत्नों की लेन-देन करके एक दो की पालना करो, ज्ञान रत्नों का दान करते रहो” प्रश्नः- अपने आपको अपार खुशी में रखने का पुरुषार्थ क्या है? उत्तर:- खुशी में रहने के लिए विचार सागर मंथन करो। अपने आपसे बातें करना सीखो। अगर […]Read More

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04-04-2018

04-04-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – जीते जी मरजीवा बनो, हम अशरीरी आत्मा हैं, यही पहला पाठ अच्छी तरह से रोज़ पक्का करते रहो” प्रश्नः- सम्पूर्ण सरेन्डर किसको कहा जायेगा? उत्तर:- जो सम्पूर्ण सरेन्डर हैं वह देही-अभिमानी होंगे। यह देह भी हमारी नहीं, अभी हम नंगे बनते हैं अर्थात् तन-मन-धन जो कुछ […]Read More

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03-04-2018

03-04-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – ज्ञान अमृत है और योग अग्नि है, ज्ञान और योग से तुम्हारे सब दु:ख-दर्द दूर हो जायेंगे” प्रश्नः- कौन सा रस ज्ञान से प्राप्त होता है, भक्ति से नहीं? उत्तर:- जीवनमुक्ति का रस। भक्ति से किसी को भी जीवनमुक्ति का रस नहीं मिल सकता। बाप जब […]Read More

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02-04-2018

02-04-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे – श्रेष्ठ बनने के लिए सदा श्रीमत पर चलते रहो, लक्ष्मी-नारायण भी श्रीमत से इतने श्रेष्ठ बने हैं” प्रश्नः- भक्ति में गऊमुख का यादगार क्यों बनाया है? उत्तर:- क्योंकि संगम पर बाप ने ज्ञान का कलष माताओं के ऊपर रखा है। तुम माताओं के मुख से ज्ञान […]Read More

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01-04-18

01-04-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज: 07-05-83 मधुबन “ब्राह्मणों का संसार – बेगमपुर” आज बेगमपुर के बादशाह अपने मास्टर बेगमपुर के बादशाहों से मिलने आये हैं। यह संगमयुगी बादशाहों की सभा है। इसी बादशाही से भविष्य प्रालब्ध प्राप्त करते हैं। बापदादा देख रहे हैं कि सभी बच्चे बेगम अर्थात् किसी भी प्रकार के गम अर्थात् […]Read More