Bkvarta

तीन लोक कौन से है और शिव का धाम कौन सा है ?

 तीन लोक कौन से है और शिव का धाम कौन सा है ?

altतीन लोक कौन से है और शिव का धाम कौन सा है ?मनुष्य आत्माएं मुक्ति अथवा पूर्ण शान्ति की शुभ इच्छा तो करती है परन्तु उन्हें यह मालूम नहीं है कि मुक्तिधाम अथवा शान्तिधाम है कहाँ ? इसी प्रकार, परमप्रिय परमात्मा शिव से मनुष्यात्माएं मिलना तो चाहती है और उसी याद भी करती है परन्तु उन्हें मालूम नहीं है कि वह पवित्र धाम कहाँ है जहाँ से हम सभी मनुष्यात्माएं सृष्टि रूपी रंगमंच पर आई है, उस प्यारे देश को सभी भूल गई है और और वापिस भी नहीं जा सकती !!१. साकार मनुष्य लोक – सामने चित्र में दिखाया गया है कि एक है यह साकार ‘मनुष्य लोक’ जिसमे इस समय हम है | इसमें सभी आत्माएं हड्डी- मांसादि का स्थूल शरीर लेकर कर्म करती है और उसका फल सुख- दुःख के रूप में भोगती है तथा जन्म-मरण के चक्कर में भी आती है | इस लोक में संकल्प, ध्वनि और कर्म तीनों है | इसे ही ‘पाँच तत्व की सृष्टि’ अथवा ‘कर्म क्षेत्र’ भी कहते है | यह सृष्टि आकाश तत्व के अंश-मात्र में है | इसे सामने त्रिलोक के चित्र में उल्टे वृक्ष के रूप में दिखायागया है क्योंकि इसके बीज रूप परमात्मा शिव, जो कि जन्म-मरण से न्यारे है, ऊपर रहते है |२. सूक्ष्म देवताओं का लोक – इस मनुष्य-लोक के सूर्य तथा तारागण के पार आकाश तत्व के भी पार एक सूक्ष्म लोक है जहाँ प्रकाश ही प्रकाश है | उस प्रकाश के अंश-मात्र में ब्रह्मा, विष्णु तथा महदेव शंकर की अलग-अलग पुरियां है | इन्स देवताओं के शरीर हड्डी- मांसादि के नहीं बल्कि प्रकाश के है | इन्हें दिव्य-चक्षु द्वारा ही देखा जा सकता है | यहाँ दुःख अथवा अशांति नहीं होती | यहाँ संकल्प तो होते है और क्रियाएँ भी होती है और बातचीत भी होती है परन्तु आवाज नहीं होती |३. ब्रह्मलोक और परलोक- इन पुरियों के भी पार एक और लिक है जिसे ‘ब्रह्मलोक’, ‘परलोक’, ‘निर्वाण धाम’, ‘मुक्तिधाम’, ‘शांतिधाम’, ‘शिवलोक’ इत्यादि नामों से याद किया जाता है | इसमें सुनहरे-लाल रंग का प्रकाश फैला हुआ है जिसे ही ‘ब्रह्म तत्व’, ‘छठा तत्व’, अथवा ‘महत्त्व’ कहा जा सकता है | इसके अंशमात्र ही में ज्योतिर्बिंदु आत्माएं मुक्ति की अवस्था में रहती है | यहाँ हरेक धर्म की आत्माओं के संस्थान (Section) है |उन सभी के ऊपर, सदा मुक्त, चैतन्य ज्योति बिन्दु रूप परमात्मा ‘सदाशिव’ का निवास स्थान है | इस लोक में मनुष्यात्माएं कल्प के अन्त में, सृष्टि का महाविनाश होने के बाद अपने-अपने कर्मो का फल भोगकर तथा पवित्र होकर ही जाती है | यहाँ मनुष्यात्माएं देह-बन्धन, कर्म-बन्धन तथा जन्म-मरण से रहित होती है | यहाँ न संकल्प है, न वचन और न कर्म | इस लोक में परमपिता परमात्मा शिव के सिवाय अन्य कोई ‘गुरु’ इत्यादि नहीं ले जा सकता | इस लोक में जाना ही अमरनाथ, रामेश्वरम अथवा विश्वेश्वर नाथ की सच्ची यात्रा करना है, क्योंकि अमरनाथ परमात्मा शिव यही रहते है |

admin

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *