Bkvarta

07 April विश्व स्वास्थ्य दिवस World Health Day

विश्व स्वास्थ्य दिवस : 7 अप्रैल

विश्व स्वास्थ्य दिवस का मुख्य उद्देश्य विश्व में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है. प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. वर्ष 2013 में विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है- उच्च रक्तचाप नियंत्रण एवं उत्तम स्वास्थ्य. रक्तचाप बढ़ने से दिल के दौरे, मष्तिष्क आघात और गुर्दे फेल हो जाने जैसे खतरे होते हैं. विश्व स्वास्थ्य दिवस-2013 का लक्ष्य दिल के दौरों और मस्तिष्क आघात में कमी लाना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरी दुनिया में हर तीन में से एक युवा उच्च रक्तचाप से प्रभावित है और हर वर्ष विश्व-भर में 90 लाख लोगों की इसी वजह से मृत्यु हो जाती है.

वर्ष 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहली वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली का आयोजन किया था. एसेंबली में निर्णय लिया गया कि प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाना है, जिसे वर्ष 1950 में लागू किया गया. इस दिन को अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर मनाया जाता है.

 

 

विश्व स्वास्थ्य दिवस

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति

लेख (प्रतीक्षित)

गणराज्य

कला

पर्यटन

दर्शन

इतिहास

धर्म

साहित्य

सम्पादकीय

सभी विषय ▼

 

 

विश्व स्वास्थ्य दिवस

विषयसूची

 [छिपाएं]

  • 1 इतिहास
  • 2 विश्व स्वास्थ्य संगठन
  • 3 विश्व स्वास्थ्य दिवस 2011
  • 4 भारत में स्वास्थ्य आकड़े
  • 5 टीका टिप्पणी और संदर्भ
  • 6 बाहरी कड़ियाँ
  • 7 संबंधित लेख

विश्वस्वास्थ्यदिवस (अंग्रेज़ी: World Health Day) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO: World Health Organisation) के तत्वावधान में हर साल इसके स्थापना दिवस पर 7 अप्रैल को पूरी विश्व में मनाया जाता है। इसका मकसद दुनियाभर में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और जनहित को ध्यान में रखते हुए सरकार को स्वास्थ्य नीतियों के निर्माण के लिए प्रेरित करना है।

इतिहास

विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत 1950 से हुई। इससे पहले 1948 में 7 अप्रैल को ही डब्ल्यूएचओ की स्थापना हुई थी। उसी साल डब्ल्यूएचओ की पहली विश्व स्वास्थ्य सभा हुई, जिसमें 7 अप्रैल से हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने का फैसला लिया गया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन

सन 1948 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अन्य सहयोगी और संबद्ध संस्था के रूप में दुनिया के 193 देशों ने मिल कर स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की नींव रखी थी। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य के स्तर ऊंचा को उठाना है। हर इंसान का स्वास्थ्य अच्छा हो और बीमार होने पर हर व्यक्ति को अच्छे प्रकार के इलाज की अच्छी सुविधा मिल सके। दुनिया भर में पोलियो, रक्ताल्पता, नेत्रहीनता, कुष्ठ, टी.बी., मलेरिया और एड्स जैसी भयानक बीमारियों की रोकथाम हो सके और मरीजों को समुचित इलाज की सुविधा मिल सके, और इन समाज को बीमारियों के प्रति जागरूक बनाया जाए और उनको स्वस्थ वातावरण बना कर स्वस्थ रहना सिखाया जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्ण स्वस्थ होना ही मानव-स्वास्थ्य की परिभाषा है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2011

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2011 के लिए रोगाणुरोधी प्रतिरोध: आज कार्रवाई नहीं, कल इलाज नहीं (Antimicrobial resistance: no action today, no cure tomorrow) थीम रखा गया। रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial resistance) को औषध प्रतिरोध (Drug Resistance) भी कहा जाता है। इसी कारण विश्व स्वास्थ्य दिवस 2011 का थीम औषध प्रतिरोध: आज कार्रवाई नहीं, कल इलाज नहीं (Combat Drug Resistance: no action today, no cure tomorrow) भी है।

भारत में स्वास्थ्य आकड़े

 

 

भारतीय डाकटिकट में विश्व स्वास्थ्य दिवस

भारत ने पिछले कुछ सालों में तेजी के साथ आर्थिक विकास किया है लेकिन इस विकास के बावजूद बड़ी संख्या में लोग कुपोषण के शिकार हैं जो भारत के स्वास्थ्य परिदृश्य के प्रति चिंता उत्पन्न करता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार तीन वर्ष की अवस्था वाले 3.88 प्रतिशत बच्चों का विकास अपनी उम्र के हिसाब से नहीं हो सका है और 46 प्रतिशत बच्चे अपनी अवस्था की तुलना में कम वजन के हैं जबकि 79.2 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया (रक्ताल्पता) 50 से 58 प्रतिशत बढ़ा है।

  • कहा जाता है बेहतर स्वास्थ्य से आयु बढ़ती है। इस स्तर पर देखें तो बांग्लादेश भारत से आगे है। भारत में औसत आयु जहां 64.6 वर्ष मानी गई है वहीं बांग्लादेश में यह 66.9 वर्ष है। इसके अलावा भारत में कम वजन वाले बच्चों का अनुपात 43.5 प्रतिशत है और प्रजनन क्षमता की दर 2.7 प्रतिशत है। जबकि पांच वर्षो से कम अवस्था वाले बच्चों की मृत्यु दर 66 है और शिशु मृत्यु दर जन्म लेने वाले प्रति हज़ार बच्चों में 41 है। जबकि 66 प्रतिशत बच्चों को डीपीटी का टीका देना पड़ता है।
  • इंडियाहेल्थरिपोर्ट 2010 के मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य की सेवाएं अभी भी पूरी तरह से मुफ़्त नहीं हैं और जो हैं उनकी हालत अच्छी नहीं हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की काफ़ी कमी है। भारत में डॉक्टर और आबादी का अनुपात भी संतोषजनक नहीं है। 1000 लोगों पर एक डॉक्टर भी नहीं है। अस्पतालों में बिस्तर की उपलब्धता भी काफ़ी कम है। केवल 28 प्रतिशत लोग ही बेहतर साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं।
  • पिछले कुछ सालों में यहां एचआईवी एड्स तथा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का प्रभाव बढ़ा है। साथ ही डायबिटीज, हृदय रोग, क्षय रोग, मोटापा, तनाव की चपेट में भी लोग बड़ी संख्या में आ रहे हैं। महिलाओं में स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर का ख़तरा बढ़ा है। ये बीमारियां बड़ी तादाद में उनकी मौत का कारण बन रही हैं।
  • ग्रामीण तबके में देश की अधिकतर आबादी उचित खानपान के अभाव में कुपोषण की शिकार है। महिलाओं, बच्चों में कुपोषण का स्तर अधिक देखा गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रति 10 में से सात बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। वहीं, महिलाओं की 36 प्रतिशत आबादी कुपोषण की शिकार हैं।

 

 

admin

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *