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आध्यात्मिक पत्रकारिता प्रशिक्षण

 आध्यात्मिक पत्रकारिता प्रशिक्षण

Razi-Khushi


 

 

 

 

 

बीकेवार्ता तथा राजीखुशी

और ब्रहमाकुमारीज वलसाड

के संयुक्त प्रावधान में आयोजित

आध्यात्मिक  पत्रकारिता लेखन प्रशिक्षण कार्यक्रम

वलसाड जिला सुरत  

दि 7 से 9 फरवरी, 2014

 

ब्रहमाकुमारीज प्रथम हिंदी वेबपोर्टल बीकेवार्ता.कॉम www.bkvarta.com और मोटिवेशनल मॅगेजीन आध्यात्मिक पत्रिका  राजीखुशी www.rajikhushi.in के संयुक्त प्रावधान में ब्रहमाकुमारीज गुजरात जोनल संयोजिका ब्र कु रंजन बहन के सहयोग से आयोजित  आध्यात्मिक पत्रकारिता लेखन  प्रशिक्षण का आयोजन दि 7 से 9 फरवरी , 2014 तक आयोजित किया गया है

 


आध्यात्मिक पत्रकारिता लेखन प्रशिक्षण की विशेषतायें 

 

1 भारत वर्ष का प्रथम प्रशिक्षण कार्यक्रम

2  बीके भाई बहनों को ही स्थान 

3  पंजीकरण आवश्यक, पहले आये पहले पाये तत्वपर प्रथम तीस  सदस्योंको ही आध्यात्मिक लेखन प्रशिक्षण दिया जायेगा, 

4  आध्यात्मिक  पत्रकारिता लेखन  शिविर से मूल्यों की ण्नर्स्थापना के लिए लेखकों का निर्माण हो इसलिए यह प्रशिक्षण  है ,  इसके लिए कोई शुल्क नही होगा 

5 केवल ग्रेज्युएट अथवा उसके समकक्ष पढे हूए तथा जिनकी अछी भाषा है उनको प्रशिक्षण में प्राथमिकता 

6 प्रो कमल दीक्षितजी का मुख्य मार्गदर्शन इस आध्यात्मिक पत्रकारिता लेखन शिवीर में होगा ,ृ  साथही मीडिया के अन्य भाईयों का भी मार्गदर्शन इस लिए होगा

7 अपने पंजिकरण के लिए bkvarta@gmail.com पर भेजें तथा इसकी कापी valsad@bkivv.org तथा kmldixit@gmail.com  को भेजें 

 


पंजिकरण फार्म

 

1 पूरा नाम

2 पता

3 मोबाईल नं

4 ईमेल

5 ईश्वरीय ज्ञान में कबसे

6 लेखन क्षमता रखतें है

7 इसके पहले कोई टेनिंग लि है

8 मीडिया प्रभाग के सदस्य है

9 आने की तिथी

10 जाने की तिथी

 

सम्पर्क 

डा सोमनाथ वडनरे, संयोजक, आध्यात्मिक लेखन पत्रकारिता प्रशिक्षण – 09420664468

ब्रहमाकुमारी रंजन बहन, जोनल कोर्डिनेटर मीडिया प्रभाग गुजरात राज्य, तथा सेवाकेंद्र संचालिका वलसाड – 

Brahma Kumaris,
Gyan Surya Bhawan, Tithal Road,
Behind Parag Mahel,
Near Collector Bunglow,
Valsad – 396001(GUJ)

T 02632-253436
M 9426812655
E valsad@bkivv.org

 


आध्यात्मिक पत्रकारिता प्रशिक्षण एक नज़र में ……..


आध्यात्मिक पत्रकारिता प्रशिक्षण की आवश्यकता :

जनसंचार माध्यमों सहित समाज के सभी व्यवसायों से जुड़े मानवीय मूल्यों, चरित्र और आचार-विचार में तेजी से आयी गिरावट के मद्देनजर पत्रकारिता और आध्यात्मिकता के बीच समन्वय बैठाने की जरूरत महसूस करते हुए ब्रह्माकुमारीज वार्ता तथ राजीखुशी पत्रिका की औरसे   नैसर्गिक सौंदर्य वाले एवं आध्यात्मिकता चेतना वाले  गुजरात राज्यस्थित वलसाड जिला सुरत में तीन दिवशीय आध्यात्मिक पत्रकारिता प्रशिक्षण आयोजित किया है ,

प्रशिक्षण का मुख्य उददेश्य आध्यात्मिक ज्ञान, मूल्यनिष्ठ जीवन, राजयोग तथा स्वस्थ जीवनशैली के लिए लेखन क्षमता, खबरें बनाने का प्रशिक्षण देना यह है ।

 

राजनीति की तरह मीडिया के भी अपराधीकरण की चर्चाओं के बीच अब आध्यात्मिक समाधान पर ही भरोसा रह गया है। नैतिक मूल्यों के प्रति  आजकी पत्रकारिता के कम  प्रयास हो रहे है ।

 

समाज और मीडिया एक-दूसरे के सार्थक प्रतिबिम्ब के रूप में भरकर सामने आएं, ये समय की आवश्यकता है।

 


 

प्रशिक्षण शिवीर में कवर किए जाने वाले विषय :
 
1  आध्यात्मिक पत्रकारिता संकल्पना
2  आध्यात्मिक रायटींग और एडीटींग
3 आध्यात्मिक फिचर्स रायटींग
4 आध्यात्मिक वीडिओ न्यूज
5 आध्यात्मिक सायबर न्यूज
6 आध्यात्मिक रेडिओ कवरेज के लिए ध्यान देने वाली बातें
7 मोटिवेशनल आर्टिकल, लेखन और मनोविज्ञान का महत्व 
 
प्रमुख मार्गदर्शक  प्रो कमल दीक्षितजी, पूर्व विभागाध्यक्ष, माखनलाल चतुर्वेदी राष्टीय पत्रकारिता विभाग भोपाल तथा राष्टीय संयोजक मूल्यानुगत मीडिया और सम्पादक राजीखुशी पत्रिका

 

आध्यात्मिक पत्रकारिता : समय की पुकार

पत्रकारिता का प्रभाव सर्वव्यापी है, और आध्यात्मिकता का भी। दोनों का मकसद मानव स्वभाव की गहराइयों में जाना और जटिल चीजों से पर्दा उठाना है। अब आध्यात्मिक पत्रकारिता का आकर्षण बढ़ रहा है।

 
यह समझना जरूरी है कि आध्यात्मिक पत्रकारिता का मतलब सिर्फ संतों की वाणी को आगे बढ़ा देना नहीं है, इसमें तरह-तरह की पूजा पद्धतियों का थोड़ा-बहुत अनुभव लेना भी शामिल है।
 
अगर कोई शख्स विभिन्न पूजा पद्धतियों के बारे में लिखना चाहता है तो उसे उनके बारे में जानकारी और अनुभव होना चाहिए। इसके अलावा उनके बीच मौजूद अंतरों और उनके ऐतिहासिक कारणों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
 
इसीलिए आध्यात्मिक पत्रकारिता में अस्पष्टता की कोई जगह नहीं है। आज की दुनिया अस्तित्व बनाए रख पाना मुश्किल होता जा रहा है। बड़ी संख्या में लोग, खासकर युवा, टेलिविजन और प्रिंट मीडिया के जरिये निर्वाण या मोक्ष पाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि खबर देने वाले संगठन आध्यात्मिक और नैतिक कार्यक्रमों की कवरेज पर काफी ध्यान और समय खर्च कर रहे हैं। अध्यात्म को कवर करने के तरीके में अहम बदलाव आया है। जैसे-जैसे यह स्पष्ट हो रहा है कि धर्म और अध्यात्म रोजमर्रा की जिंदगी में पैठ बना रहे हैं, टेलिविजन में धर्म कवर करने वाले संवाददाताओं की संख्या बढ़ रही है।
 

मीडिया और आध्यात्मिकता :

धर्म विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी खेल आयोजन के मुकाबले हर हफ्ते ज्यादा लोग पूजा-पाठ में शामिल होते हैं। यही वजह है कि अब विशेषज्ञ और जानकार पत्रकार इस बीट को कवर करते हैं। पहले वरीयता क्रम में दूसरे दर्जे के पत्रकारों को यह बीट दी जाती थी। अब तो पत्रकार इस बीट के लिए अप्लाई करते हैं।
 
अब इस बात पर विराम लगाना होगा कि आध्यात्मिक पत्रकारिता धर्म के आधार पर लोगों का ध्रुवीकरण करती है। अगर देखा जाए तो आध्यात्मिक पत्रकारिता की कई पहचान हैं। इसका संबंध अच्छा महसूस कराने वाले सत्संग, सेहतमंद जीवन के नुस्खे और पसंदीदा भक्ति गीत/भजन सुनने से है।

 

आध्यात्मिकता तथा इलेक्टॉनिक मीडिया :
 
आध्यात्मिक चैनलों की बाढ़ आ गई है। आज आस्था, संस्कार, साधना, जागरण, गॉड टीवी, मिरैकलनेट और क्यूटीवी जैसे चैनलों के पास समर्पित दर्शक हैं। पहले धर्म आधारित चैनलों को ‘भजन’ और ‘कीर्तन’ चैनलों के नाम से पुकारा जाता था।
 
आज आध्यात्मिक चैनल बदलते ऑडियंस की जरूरतों के हिसाब से कंटेंट तैयार कर रहे हैं। धार्मिक कार्यक्रमों के इतर स्वास्थ्य व सेहत संबंधी प्रोग्राम,  जीवनशैली पर आधारित शो, धार्मिक पर्यटन, कला और संस्कृति आधारित कार्यक्रम लाए हैं। आस्था जैसे कुछ चैनल तो एनआरआई ऑडियंस तक पहुंच रहे हैं जबकि जागरण युवा दर्शकों को टारगेट कर रहा है।
 
आस्था दो करोड़ 40 लाख दर्शक होने का दावा करता है जबकि संस्कार अपने दर्शकों की संख्या एक करोड़ 20 लाख बताता है। आस्था चैनल के सीएमडी और सीईओ कीर्ति मेहता का कहना है, ‘हमारे पास सभी कार्यक्रमों के लिए समर्पित दर्शक हैं, लेकिन सबसे ज्यादा लोकप्रिय है रामदेवजी महाराज का प्रोग्राम। वह हमारे चैनल के केबीसी हैं।’
 
संस्कार चैनल के लिए श्री श्री रविशंकर और साधु वासवानी के कार्यक्रम काफी अहम हैं। संस्कार के डायरेक्टर किशोर मोहता ने कहा, ‘ न केवल हमारे दर्शक वफादार हैं, बल्कि ऐसे ऐडवरटाइजर्स भी हैं जो हमारे साथ लंबे समय से हैं। इस जेनरे को लेकर लोगों के नजरिये में भी बदलाव आया है। पहल ऐसा माना जाता था कि सारा खेल साधुओं को लाने का है। किसी का ध्यान कंटेंट तैयार करने पर नहीं था। लेकिन अब वक्त बदल गया है। आज हम हर दिन तीन से चार भजन-कीर्तन तैयार करते हैं।’
 
कई आध्यात्मिक गुरु और ट्रस्ट अपना चैनल ला रहे हैं। मसलन, माता अमृतानंदमयी देवी के भक्त और उनसे जुड़े ट्रस्टों ने अमृता एंटरप्राइजेज़ नाम से कंपनी बनाई है। ये दो धार्मिक चैनल लॉन्च करेगी। तिरुवनंतपुरम स्थित ‘अम्मा’ नेटवर्क भक्ति, सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रमों और पांच घंटे खबरों का प्रसारण करता है।
 

प्रिन्ट मीडिया और आध्यात्मिकता :

प्रिंट मीडिया की बात करें तो टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने कॉलम ‘द स्पीकिंग ट्री’ के जरिये इस जेनरे को काफी लोकप्रिय बना दिया है। यह श्रद्धा, समर्पण और भगवान की महिमा के गुणगान से आगे जाकर तर्क-प्रतितर्क करता है। यह अलग-अलग धर्म को मानने वाले विशेषज्ञों और पूजा पद्धतियों को साथ लाता है ताकि शांति और सद्भाव को बढ़ावा दिया जा सके।
 
 ‘द स्पीकिंग ट्री’ की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह टाइम्स ऑफ इंडिया के संपादकीय पृष्ठ पर रोजाना प्रकाशित होने वाले कॉलम से आगे जाकर ‘बेस्ट ऑफ द स्पीकिंग ट्री’ शीर्षक से किताब के रूप में प्रकाशित किया जाता है। अब टाइम्स ग्रुप इसे साप्ताहिक अखबार में ले गया है और उसने पहले ‘आध्यात्मिक पत्रकार’ की सेवाएं लेना शुरू कर दिया है।
 
आधुनिक समय में आध्यात्मिक पत्रकारिता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। रामकृष्ण मिशन के संतों के मुताबिक, आध्यात्मिक पत्रकारिता स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में अहम भूमिका निभाती है। एक सेमिनार में रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी आत्मविदानंदजी ने कहा, ‘पत्रकार सच को दबाते और नकारात्मक पहलुओं को उजागर करते हैं, लेकिन आध्यात्मिक पत्रकारिता के मामले में ऐसा नहीं किया जा सकता।’

आध्यात्मिक कार्यक्रमों का कवरेज एक कला :
 
आध्यात्मिक मामलों की कवरेज का विस्तार हुआ है, लेकिन ये सवाल बना हुआ है कि क्या इतना काफी है ? धर्म पर लिखने वाले आस्था की जटिलताओं की व्याख्या और अध्यात्म की क्षेत्र में डुबकी लगाने में माहिर होते जा रहे हैं, लेकिन पत्रकारों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। हालांकि, जब पारंपरिक ज्ञानतंत्र टूट रहे हैं तब आध्यात्मिक पत्रकारिता पर इसे आधुनिक विश्लेषण के साथ आधुनिक संदर्भ में स्थापित करने की जिम्मेदारी है


 

 

 

 

 

 

 

 

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