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मुरली सार:- “मीठे बच्चे – तुम्हारा यह जीवन देवताओं से भी उत्तम है, क्योंकि तुम अभी रचयिता और रचना को यथार्थ जानकर आस्तिक बने हो” 
प्रश्न:- संगमयुगी ईश्वरीय परिवार की विशेषता क्या है, जो सारे कल्प में नहीं होगी? 
उत्तर:- इसी समय स्वयं ईश्वर बाप बनकर तुम बच्चों को सम्भालते हैं, टीचर बनकर पढ़ाते हैं और सतगुरू बनकर तुम्हें गुल-गुल (फूल) बनाकर साथ ले जाते हैं। सतयुग में दैवी परिवार होगा लेकिन ऐसा ईश्वरीय परिवार नहीं हो सकता। तुम बच्चे अभी बेहद के सन्यासी भी हो, राजयोगी भी हो। राजाई के लिए पढ़ रहे हो। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) सारी दुनिया अब कब्रदाखिल होनी है, विनाश सामने है, इसलिए कोई से भी सम्बन्ध नहीं रखना है। अन्तकाल में एक बाप ही याद रहे। 

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