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मानसिक प्रदुर्षण ही प्राकृतिक अपदाओंकी जननी – ब्र.कु.मोहन सिंघल


8 अगस्त(जलगांव:महाराष्ट्र) मानसिक प्रदुर्षण ही प्राकृतिक अपदाओंकी जननी – ब्र.कु.मोहन सिंघल. वर्तमान समय विश्व में सभी प्रकार के प्रदुषण का खतरा मानस समाज के उपर मंडरा रहा है, इसे रोखने के लिए केवल बाह्र उपाय ही पर्याप्त नही अपितू आंतरीक विचारों का प्रदुर्षण को समाप्त करनाही सदाकालिन समाधान है – यह प्रतिपादन है राजयोग शिक्षा एवं शोध प्रतिष्ठाण के वैज्ञानिक एवम् अभियंता प्रभाग के ब्रा.कु. मोहनभाईजी सिंघल के. ब्राहृाकुमारीज जलगांव के संयुक्त प्रावधान के अंतर्गत प्रकृति, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन, जलगांव से कोल्हापूर अभियान के उदघाटन समारोह मे वे बोल रहे थे. ज्ञात हो की प्रभाग की औरसे यह अभियान 7 से 21 अगस्त दौरान आयोजित हो रहा है.

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