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15-11-08

15-11-08   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘सच्ची साफ दिल से परमात्म स्नेही बन हर प्राप्ति के अनुभव की अथॉरिटी बनो’’

आज बापदादा अपने चारों ओर के अपनी सच्ची दिल साफ दिल के स्नेह से भोलानाथ बापदादा को अपना बनाने वाले बच्चे स्नेही बच्चे देख रहे हैं। ऐसे दिल के स्नेही बच्चों को देख बापदादा भी गीत गाते वाह! मेरे स्नेही बच्चे वाह! यह परमात्म स्नेह सिर्फ इस संगम पर ही अनुभव कर सकते हैं। तो ऐसे स्नेही बच्चे जो दिल से बाप को याद करते हैं वह सदा ही बाप की याद में बाप के दिलतख्तनशीन बनते हैं। बापदादा ऐसे स्नेही बच्चों को विशेष अमृतवेले कोई न कोई विशेष वरदान देते हैं क्योंकि स्नेह देने वाले दिल के स्नेही बच्चे बापदादा को भी अपने तरफ खींच लेते हैं क्योंकि दिल का सच्चा स्नेह है और जीवन में अगर स्नेह नहीं तो जीवन मौज में नहीं रहती। आप सभी अनुभवी हैं कि बाप का नि:स्वार्थ अविनाशी स्नेह हर एक बच्चे को कितना प्यारा है। तो परमात्म स्नेह इस ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन है। इसलिए आप सब स्नेह के पात्र और स्नेह के अनुभवी बच्चे हैं। ज्ञान है लेकिन ज्ञान के साथ परमात्म स्नेह भी आवश्यक है क्योंकि जहाँ स्नेह है वहाँ सब कुछ अनुभव करना सहज हो जाता है। स्नेह की शक्ति बहुत ही बाप के नजदीक ले आती है। स्नेह की शक्ति सदा ऐसे अनुभव कराती है जैसे बाप के वरदान का हाथ सदा अपने सिर पर अनुभव करते। स्नेह बाप का सदा ही छत्रछाया बन जाता है। स्नेही सदा अपने को बाप के साथी समझते हैं। स्नेही आत्मा सदा रमणीक रहती है। सूखे नहीं रहते रमणीक रहते हैं। स्नेही आत्मा सदा निश्चित और निश्चिंत रहते हैं। स्नेही सदा अपने को बाप को याद करने में सहज योगी का अनुभव करते हैं। ज्ञान बीज है लेकिन बीज के साथ स्नेह पानी है अगर बीज में पानी नहीं मिलता तो फल की प्राप्ति का अनुभव नहीं हो सकता। ज्ञान के साथ-साथ यह परमात्म स्नेह सदा सर्व प्राप्तियों का फल अनुभव कराता है। स्नेह में प्राप्तियों का अनुभव बहुत सहज होता है। सिर्फ ज्ञान है लेकिन स्नेह नहीं है तो फिर भी क्यों क्या के क्वेश्चन्स उठ सकते हैं लेकिन स्नेह है तो सदा स्नेह के सागर में लवलीन रहते हैं। स्नेही आत्मा को एक बाप ही संसार है सदा श्रीमत का हाथ मस्तक में अनुभव करते हैं। अविनाशी स्नेह सारा कल्प स्नेही बना देता है। तो हर एक अपने आपको चेक करो कि सदा दिल के स्नेह का अनुभवी हैं वा बीच में कोई स्नेह में लीकेज तो नहीं है? अगर कोई भी आत्मा की तरफ प्रभावित हैं चाहे उनकी विशेषता पर चाहे विशेष गुण पर प्रभावित है तो परमात्म प्यार के अन्दर अविनाशी के बदले लीकेज हो जाता है। इसलिए हर एक अपने आपको चेक करे कि लीकेज वाले सदा के स्नेही सदा बाप के साथी सदा बाप के हाथ का वरदान माथे पर हो यह अनुभव नहीं कर सकते हैं इसलिए ज्ञानी तू आत्मा प्रिय हैं लेकिन ज्ञान के साथ-साथ सच्ची दिल अविनाशी बाप का स्नेह आवश्यक है। अगर ज्ञान के साथ स्नेह बाप के साथ थोड़ा भी कम है सच्ची दिल साफ दिल का स्नेह थोड़ा भी कम है तो कहाँ-कहाँ मेहनत करनी पड़ती है। पुरूषार्थ में युद्ध करनी पड़ती है। इसलिए निरन्तर याद निरन्तर लव में लीन होने वाली आत्मा सदा ही पहाड़ को भी राई बनाने वाली होती है क्योंकि स्नेह में प्राप्तियां स्पष्ट अनुभव होती हैं और जहाँ मुहब्बत है वहाँ मेहनत कम अगर मुहब्बत अथवा स्नेह कम तो मेहनत लगती है।

तो बापदादा आज चारों ओर के बच्चों को सच्ची दिल से बाप के स्नेही मेहनत से मुक्त सदा ही स्नेह के सागर में समाये हुए कहाँ तक हैं वह चेक कर रहे थे। ज्ञान बीज है लेकिन बीज को स्नेह का पानी आवश्यक है। नहीं तो सहज फल प्राप्तियों का फल अनुभवों का फल कम अनुभव होता। तो आजकल बापदादा हर बच्चे को हर प्राप्ति के अनुभवी मूर्त देखने चाहते हैं। अपने आपको चेक करो हर शक्ति का हर प्राप्ति का हर गुण का अनुभव है? अगर अनुभव की अथॉरिटी है तो कोई भी परिस्थिति अनुभव की अथॉरिटी के आगे कुछ भी प्रभाव नहीं डाल सकती। सभी बच्चे जानते हैं ज्ञान की समझ से मैं आत्मा हूँ जानते भी हैं बोलते भी है लेकिन चलते फिरते हर समय आत्मा स्वरूप की अनुभूति है? ज्ञान की हर प्वांइट अनुभव कर रहे हैं? अनुभवी मूर्त कभी भी किसी भी परिस्थिति में अचल अडोल रहते हैं। हलचल में नहीं आते क्योंकि अथॉरिटीज़ तो बहुत हैं लेकिन सबसे बड़े में बड़ी अथॉरिटी अनुभव है। अगर अनुभव की अथॉरिटी है तो हर शक्ति हर ज्ञान की प्वाइंट हर गुण अपने आर्डर में होंगे। आह्वान करो जिस समय जिस शक्ति का वो सेकण्ड में सहयोगी बनेगी। अगर अनुभव की अथॉरिटी कम है तो मेहनत करनी पड़ती है। अनुभवी मास्टर सर्वशक्तिवान है। तो मास्टर आर्डर करे और शक्ति समय पर काम में नहीं आवे मेहनत करनी पड़े समय लगाना पड़े तो मास्टर सर्वशक्तिवान कैसे हुए! तो हर सबजेक्ट ज्ञान की हर प्वाइंट का अनुभवी हूँ याद की शक्ति का क्या एक सेकण्ड में मेरा बाबा मीठा बाबा याद किया और समा गये ऐसा अनुभव है? जिस समय जो धारणा आवश्यक है उस समय वह धारणा कार्य में लगा सकते हैं? कि कार्य समाप्त हो जाए फिर सोच में आवे इसको अनुभवी अथॉरिटी मूर्त नहीं कहेंगे। मालिक शक्तिवान है तो हर शक्ति हर गुण आर्डर में है? तो हर एक अपने आपको देखो कि अनुभव की अथॉरिटी के तख्त पर वा सीट पर सदा रहते हैं? अनुभव की सीट पर सेट रहने वाले अर्थात् संकल्प किया और हुआ मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। समय नहीं लगाना पड़ेगा। हर श्रीमत से जीवन नेचुरल सहज सम्पन्न होगा क्योंकि पहले सुनाया सच्ची दिल साफ दिल पर बापदादा भी स्नेही आत्मा पर लवलीन आत्मा पर हाजिर हो जाते हैं। जो हर श्रीमत पर हाजिर होता है तो बाप भी कहते हैं मैं भी हजूर हाजिर हूँ। आप जी हजूर करो तो हजूर सदा हाजिर है। सहज याद तो ब्राह्मण जीवन का नेचरल गुण है।

तो सभी जो भी पहली बार भी आये हैं या बहुतकाल से बाप के बन गये हैं तो हर शक्ति हर गुण नेचरल नेचर बनी हैं? जैसे हर एक में कोई न कोई नेचर नेचरल होती है। जो कभी-कभी कोई-कोई बच्चे कुछ भी हो जाता है जो ब्राह्मण जीवन के योग्य नहीं है तो क्या कहते हैं? मेरा भाव नहीं था लेकिन नेचर है। जैसे वह कमज़ोर नेचर नेचरल हो गई है ऐसे हर शक्ति ब्राह्मण आत्मा की नेचरल नेचर है। यह जो कमज़ोर नेचर बनी है वह तो देह- अभिमान की निशानी है। तो समझा ज्ञानी तू आत्मा के साथ बाप से दिल का स्नेह सब सहज कर देता है। स्नेह भी ब्राह्मण जीवन में सहयोग देता है और स्नेह याद मुश्किल नहीं कराता भूलना मुश्किल होता है। स्नेही को भूलना मुश्किल होता है याद करना नेचर होती है।

तो बापदादा वर्तमान समय आप एक-एक बच्चे को अभी किस रूप में देखने चाहते हैं? क्योंकि समय की रफ्तार अचानक के खेल दिखा रही है इसलिए बापदादा हर बच्चे को बाप समान देखने चाहते हैं। हर बच्चे की सूरत में बाप की मूर्त प्रत्यक्ष हो। हर बच्चे के नयनों में रूहानियत का नशा हो। हर चेहरे पर सर्व प्राप्तियों की मुस्कराहट हो हर चलन में निश्चय का नशा हो। सभी आने वाले निश्चयबुद्धि हैं ना! निश्चयबुद्धि हैं हाथ उठाओ। अच्छा। मुबारक हो। लेकिन निश्चय बुद्धि की निशानी क्या गाई जाती है? निश्चयबुद्धि के पीछे क्या कहा जाता है? निश्चयबुद्धि क्या? विजयी। निश्चयबुद्धि की निशानी विजयी। तो सदा निश्चयबुद्धि की निशानी क्या हुई? सदा विजयी वा कभी-कभी विजयी? सदा विजयी होगा ना! तो अभी समय प्रमाण निश्चयबुद्धि का प्रत्यक्ष प्रमाण सदा विजयी आत्मा कोशिश शब्द नहीं चाहता तो हूँ कोशिश तो करता हूँ होना तो चाहिए उसके मुख से सदा विजय का प्रत्यक्ष प्रमाण दिखाई दे।

बापदादा ने देखा सभी बच्चे पुरूषार्थी तो हैं लेकिन बीच-बीच में अलबेलापन पुरूषार्थ को तीव्र बनाने के बजाए बीच-बीच में ढीला कर देता है। फिर बापदादा को भी बहुत मीठी-मीठी बातें सुनाते हैं। क्या कहते?अपने आपसे पूछो क्या कहते हैं? हो जायेगा होना ही है समय पर पहुंच जायेंगे। तो यह अलबेलापन समय पर जो वायदा किया है कि बाबा हम साथ है और साथ चलेंगे हाथ में हाथ देके चलेंगे सिवाए समान के साथ कैसे चलेंगे? एक बात में बापदादा को विशेष खुशी होती है किस बात की? सभी बच्चे जो भी चलते रहते हैं वा उड़ते रहते हैं दोनों बाप के प्यार में अच्छी मार्क्स ले रहे हैं सम्पूर्ण बनने में सम्पन्न बनने में अलग बात है लेकिन बाप से प्यार है प्यार की मार्क्स अच्छी हैं। अभी समान बनने में मार्क्स लेनी है। जो बाप के बोल वह बच्चों के बोल जो बाप के कर्म वही बच्चों के कर्म समान बनने के लिए सिर्फ एक शब्द सहज प्रैक्टिकल में लाओ कहना सहज है वह एक शब्द है ‘‘बापदादा करावनहार है’’ एक करावन शब्द आत्म अभिमानी बनने में भी सहज है मैं आत्मा भी इन कर्मेन्द्रियों की करावनहार हूँ और हर कदम में हर कार्य में करावनहार बाप है मैं निमित्त हूँ क्योंकि विघ्न पड़ता है दो शब्दों का एक मैं दूसरा मेरा करावनहार शब्द से मैं-मेरा समाप्त हो जाता है। मैं निमित्त हूँ निमित्त बनाने वाला करा रहा है मैंपन नहीं। तो सुना बापदादा क्या चाहता है? एक तो सच्ची दिल साफ दिल का स्नेह। भोलानाथ बाप सच्ची दिल पर बहुत सहज राजी हो जाते हैं। जब भोलानाथ राजी तो धर्मराज काजी आंख भी नहीं उठा सकते। धर्मराज को भी बाय-बाय करके चले जायेंगे। वह भी आप बापसमान बच्चों को नमस्ते करेगा झुकेगा। आप ऐसे बाप के प्यारे हो लेकिन सिर्फ चेक करना कोई स्नेह में लीकेज नहीं हो। अपने देहभान वा दूसरे की कोई भी विशेषता की लीकेज खत्म। अनुभवीमूर्त। अच्छा।

आज पहली बारी कौन आये हैं वह खड़े हो जाओ। अच्छा आधा क्लास तो पहले बारी का है बहुत अच्छा बैठ जाओ। फिर भी बापदादा खुश होते हैं कि लेट का बोर्ड तो लग गया है लेकिन टूलेट का नहीं लगा है। इसलिए आये पीछे हैं लेकिन तीव्र पुरूषार्थी बन आगे जाना है। अगर इस संगम के समय को एक-एक सेकण्ड सफल करेंगे तो सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है लेकिन अटेन्शन प्लीज़। सेकण्ड भी व्यर्थ न जाये। अटेन्शन को भी अण्डरलाइन करके चलना पड़े। ऐसे उमंग है जो पहले बारी आने वाले हैं वह हिम्मत रखते हैं कि हम आगे जायेंगे? वह हाथ उठाओ। टी.वी. में दिखा लो हिसाब-किताब पूछेंगे। फिर भी बापदादा आप सभी के ऊपर यही शुभ संकल्प रखते हैं कि पीछे आते भी आगे जाकर दिखायेंगे। दिखायेंगे ना! जितने सारे उठे उतने ताली बजाओ। अच्छा उमंग है उमंग में ही चलते रहना।

सभी बच्चों की अमृतवेले बापदादा रूहरिहान बहुत अच्छी-अच्छी सुनते हैं। रोज़ मैजारिटी बतायें क्या कहते हैं? मैजारिटी यही वायदा करते हैं आज से जो यह कमज़ोरी है ना वह आगे नहीं आयेगी लक्ष्य रखते हैं लेकिन लक्ष्य को लक्षण में लाना उसमें टाइम लगा देते हैं। झाटकू नहीं होते हैं सोचा और किया अब ऐसी तीव्र रफ्तार बनाओ। सोचना और करना दोनों एक हो। सोचा आज और करना दिन लगा देते हैं मास भी लगा देते हैं और उस मास के अन्दर अचानक कुछ हो जाए तो क्या गति होगी? बापदादा को एक-एक बच्चे से विशेष प्यार है तो बापदादा यही चाहते कि सब बाप समान बन साथ रहते हैं अभी साथ चलें अपने घर में साथ चलें और राज्य करने में फर्स्ट जन्म में साथ आयें। पसन्द है हाथ उठाओ। आपकी सीट बुक कर ले। कर लें कि सोचेंगे? सोचेंगे या बुक कर लें? जो समझते हैं बुक होना ही है वह हाथ उठाओ। बुक होना ही है वाह! यह तो वी.आई.पी भी हाथ उठा रहे हैं। कमाल है मुबारक है।

अच्छा जो टीचर्स आई हैं वह हाथ उठाओ। टीचर्स से बापदादा क्या चाहते हैं? पता है? टीचर्स से बापदादा यही चाहते हैं कि आपके फीचर्स से बापदादा वा फ्युचर दिखाई दे। साधारण नहीं दिखाई दे फ्युचर दिखाई दे या बापदादा दिखाई दे। हो सकता है? हो सकता है? अच्छा इसमें जो भी आई हो वह एक मास के बाद मधुबन में बापदादा के पास अपने इस विशेषता की रिजल्ट लिखना क्योंकि आप निमित्त बनी हुई हो तो निमित्त बने हुए के ऊपर जिम्मेवारी भी होती है आपकी शक्ल कभी भी एक मास में चिंता वाली वा व्यर्थ चिंतन वाली बनीं या एक मास जो बापदादा चाहते हैं वैसे ही फीचर्स रहे? नो प्राब्लम ठीक है? नो प्राब्लम कि थोड़ी-थोड़ी आ जायेगी। आने नहीं देना। प्राब्लम का दरवाजा बन्द। डबल लॉक लगाना। डबल लॉक है – याद और सेवा। मन्सा सेवा सदा हाजिर है ऐसे नहीं चांस ही नहीं मिला बड़ी बहन ने मेरे को चांस ही नहीं दिया मन्सा के लिए कोई नहीं रोकता। रात को भी जाग करके कर सकती हो मन्सा सेवा सकाश दो आह्वान करो आत्माओं का बिचारे दु:खी आत्मायें हैं सहारा दो। तो एक मास की रिजल्ट सभी टीचर्स नयी पुरानी सभी टीचर्स जो नहीं भी आई हैं वह भी एक मास की रिजल्ट या लिखना नो प्राब्लम। या कारण लिखना कितना दिन प्राब्लम आई। बस डिटेल नहीं लिखना यह हुआ यह हुआ वह नहीं लिखना। ठीक है करना है हाथ उठाओ जो करेंगे। अच्छा बहुत अच्छा। यहाँ भी बैठे हैं। अच्छा – मधुबन वाले ज्ञान सरोवर पाण्डव भवन हॉस्पिटल वाले सब हाथ उठाओ। अच्छा। तो सभी रिजल्ट लिखेंगे। सभी लिखना। मधुबन वालों की अप्लीकेशन पहुंच गई है। अच्छा – इस बारी सेवा में दो ज़ोन हैं।

राजस्थान और इन्दौर ज़ोन की सेवा का टर्न है:- दोनों ही ज़ोन सेवा तो अच्छी कर रहे हैं लेकिन बापदादा की एक बात अभी भी रही हुई है। वह तो जानते हैं ना। राजस्थान में कितने अच्छे-अच्छे वारिस निकले हैं। राजस्थान है ही राजाओं का स्थान इसीलिए नाम है राजस्थान। तो कितने भविष्य के राज्य अधिकारी निकाले हैं? हर सेन्टर अभी तक कितने राज्य अधिकारी निकाले हैं वह अपने पास नोट किया है? तो हर एक सेन्टर राज्य अधिकारी बनने वाले विशेष आत्माओं की संख्या लिखना। सेवा कर रहे हैं सेवा के प्लैन भी सोचते हैं लेकिन अभी समय के प्रमाण एक तो अपने-अपने एरिया की आत्माओं का उल्हना पूरा करो। जहाँ सेन्टर की एरिया होती है वहाँ आसपास भी मेहनत करके सभी को सिर्फ सन्देश नहीं दो लेकिन बापदादा से कम से कम वर्सा तो दिलाओ। ऐसा उल्हना नहीं हो कि बाप आया हमें वर्सा दिलाने से वंचित किया। तो अभी चारों ओर यह सेवा जल्दी से जल्दी पूरी करनी चाहिए। निमित्त एक ज़ोन है लेकिन बापदादा सभी ज़ोन को कह रहे हैं। कोई एरिया कोई गांव कोई कॉलोनी वंचित न रह जाए। सभी लास्ट में आपके गुण गाये वाह! आपने हमें बाप का परिचय तो दिया यह पुण्य का खाता अभी तीव्र गति से जमा करना चाहिए। तो राजस्थान क्या करेगा? कितने समय में अपना उल्हना पूरा करेंगे? कितना समय चाहिए? सोचेंगे? प्लैन बनाना हर एक को बांटके जल्दी से जल्दी यह प्लैन बनाओ। कोई कोई ज़ोन कर भी रहा है और सफलता मिल रही है। अच्छा है निमित्त टीचर्स बापदादा टीचर्स को अमृतवेले विशेष दृष्टि देते हैं क्योंकि टीचर्स बाप की गद्दी के अधिकारी हैं। लेकिन दृष्टि कहाँ तक कार्य में लगाते हो वह हर एक खुद जानते हैं क्योंकि विशेष रूप से बापदादा का निमित्त टीचर्स से प्यार है। तो दृष्टि लो और दृष्टि दो। अच्छा -साथी भी बहुत आये हैं सेवा का उमंग बापदादा ने देखा है है उमंग है लेकिन अभी कुछ ऐसी आत्मायें निकालो जो आपकी सर्विस के हैण्ड बन जायें। बाकी अच्छा है वृद्धि भी हो रही है यह जो भी सभी उठे हैं वह इसी ज़ोन के हैं हाथ उठाओ। साथी बनके आये हो अच्छा।

इन्दौर वाले उठो हाथ हिलाओ। इन्दौर सर्विस तो कर रहे हैं लेकिन ऐसे साथी निकालो जो आपके मददगार होके सदा आपके साथ सेवा का पार्ट बजाते रहे। बीच-बीच में सहयोगी बनते हैं सेवा में साथी भी बनते हैं लेकिन सदा के साथी तैयार करो जिससे आपके साथी बनकर जल्दी जल्दी सबको सन्देश दे सकें। बाकी बापदादा खुश है वृद्धि भी कर रहे हैं लेकिन विधि को और थोड़ा फास्ट करो। नई नई आत्मायें बढ़ भी रही है यह देखकर बाबा खुश भी होते हैं लेकिन रफ्तार अभी और तेज करो स्व पुरूषार्थ और सेवा का पुरूषार्थ और तीव्र गति में लाओ। बाकी एक-एक बच्चे दोनों ही ज़ोन के बापदादा को एक दो से प्यारे हैं। अभी आत्माओं को जैसे आपने बाप के प्यार का अनुभव किया है ऐसे उन आत्माओं को भी बाप के प्यार का थोड़ा बहुत अनुभव तो कराओ। वंचित नहीं रह जाएं क्योंकि आप आत्मायें विश्व कल्याणी हो। तो विश्व अभी कितना बड़ा रहा हुआ है। हर एक अपने ज़ोन के कल्याणी तो बनो ज़ोन में कोई भी वंचित नहीं रह जाए। ऐसा प्लैन हर एक ज़ोन मिलके बनाओ फास्ट सर्विस। सेवा की सीज़न बनाओ। वंचित आत्माओं को थोड़ा-बहुत बाप के प्यार की अंचली तो दिलाओ। रहम आत्मा है ना! आत्माओं पर रहम आता है? आता है रहम? तो अनुभव कराओ। जितने भी भाई या बहिनें आई हैं वह अपना फर्ज समझो हमें जितना भी हो सके उतना आत्माओं को जैसे हम तृप्त हुए हैं ऐसे तृप्त आत्मायें बनायें। अभी पुण्य इकठ्ठा करने की मशीनरी लगाओ। समझा। कितने उठे हैं एक-एक दो चार को भी तैयार करे सन्देश दो वह समाचार लिखें कि हमको फलाने ने बाप के प्यार का रास्ता दिलाया। अपने ही सेन्टर पर यह सेवा का समाचार दो। बापदादा यही चाहते हैं कि उल्हना नहीं रह जाए। बाकी तो सभी एक दो से अच्छे ते अच्छे हैं अच्छे ते अच्छे रहेंगे। बापदादा का विशेष इस ज़ोन को भी मुबारक है मुबारक है लेकिन अभी गति को थोड़ा तीव्र करो। बापदादा तो लोगों के दु:ख की आहें सुनते हैं ना। जब आत्मायें बच्चों के दु:ख की आहें बाप को सुनाई देती हैं तो बताओ बाप को कितना तरस पड़ता है। आप भी रहमदिल आत्मायें कल्याणकारी आत्मायें अभी दु:खियों का आवाज सुनो। हे विश्व कल्याणी आत्माओं का कल्याण करो। अच्छा बहुत अच्छा।

डबल विदेशी:- अच्छा फॉरेन वाले उठो। फॉरेन वाले भी चतुर हैं बहुत। हर ग्रुप में फॉरेन वालों की अबसेन्ट नहीं है। हर ग्रुप में अपना पार्ट बजाते रहते हैं और बापदादा और ब्राह्मण परिवार आप सबकी हिम्मत को देख खुश होते हैं। अभी तो बापदादा ने डबल फॉरेनर्स नाम बदलके कौन सा नाम रखा है? डबल पुरूषार्थी। तो सभी का डबल अर्थात् तीव्र पुरूषार्थ है ना! जो समझते हैं हमारा तीव्र पुरूषार्थ है वह हाथ उठाओ। हाथ हिलाओ। अच्छा मैजारिटी हैं मुबारक हो। तीव्र पुरूषार्थ की मुबारक हो। अभी तीव्र पुरूषार्थी तो हो लेकिन अभी तीव्र सेवाधारी यह भी पार्ट बजाओ क्योंकि स्व पुरूषार्थ के साथ सेवा का पुरूषार्थ भी अभी तीव्र करना है क्योंकि सेवा का चांस अभी है आगे चलके सेवा करने चाहो तो चांस नहीं मिलेगा। सिवाए मन्सा सेवा के। इसलिए सम्बन्ध-सम्पर्क की सेवा और वाणी की सेवा करने का चांस अभी है। जितनी कर सको उतनी डबल ट्रिबल करो। फॉरेन के साथ बापदादा भारत को भी कह रहा है। हर एक को अपना स्वयं का और सेवा का रिकार्ड देना ही है। अपने आप ही चेक करो जितना हो सकता है उतना स्वयं प्रति वा सेवा के प्रति अटेन्शन है? बाकी अच्छा है अभी फॉरेन काफी संस्कारों में अपने अनादि आदि संस्कार कहो उसमें आ गये हैं। अभी ब्राह्मण कल्चर के आदती हो गये हैं। संस्कारों के भी और स्थूल कल्चर के भी। तो मुबारक है, मुबारक है, मुबारक है।

अच्छा। अभी एक सेकण्ड में अपने मन के बुद्धि के मालिक बन मन बुद्धि को परमधाम में एकाग्र कर सकते हो? अभी एक मिनट बापदादा देखने चाहते हैं सभी एकाग्र हो परमधाम निवासी बन जाओ। (ड्रिल)

ऐसी प्रैक्टिस समय पर बहुत काम में आयेगी। अभी नाजुक समय नजदीक आ रहा है इसलिए यह एकाग्रता का अभ्यास बहुत-बहुत-बहुत आवश्यक है। इसको हल्का नहीं करना। एक सेकण्ड में क्या से क्या हो जायेगा इसलिए बापदादा पहले से ही इशारा दे रहा है। अच्छा।

चारों ओर के तीव्र पुरूषार्थी आत्माओं को सदा सच्ची दिल के बाप के स्नेही दिलाराम के बच्चों को सदा स्वयं और सेवा में आगे से आगे उड़ने वाले उड़ती कला के बच्चों को सदा अमृतवेले से रात तक हर श्रीमत को जीवन में लाने वाले बाप समान बच्चों को बापदादा का यादप्यार, दिल के वरदान स्वीकार हो साथ साथ बापदादा की देश विदेश के सभी बच्चों को दिल में समाते हुए नमस्ते।

दादियों से :- अच्छा है तीनों ही मिलके साथी बनाके चलते चलो। साथी तो चाहिए ना। ऐसे ऐसे साथी तो चाहिए। (अंकल आंटी की याद दी) उन्हों को सच्चे दिल की याद है सच्ची दिल से बापदादा का भी पदमगुणा यादप्यार। अच्छे निमित्त है अन्त तक निमित्त बने हैं, बने रहेंगे।

शान्तामणि दादी से:- बापदादा आपको हिम्मते बच्चे मददे बाप की अधिकारी बच्ची समझते हैं। अच्छी हिम्मत करती है, मुरली सुनाती है, बापदादा सुनते हैं।

परदादी से:- वाह! यह बापदादा के दिलतख्त पर बैठी रहती है। सुन रही है। सुनने में अच्छी है। आपको देखके आपकी सूरत से बाप दिखाई देता है। बाप की जो शक्तियां हैं, गुण हैं वह आपके जीवन से दिखाई देता है। समझा। बहुत अच्छा है। आदि रत्न हैं देखो दोनों ही आदि रत्न हैं। आपकी सूरत भी सेवा करती है, दोनों की। बहुत अच्छा।

 

 

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