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Month: October 2012

ब्रहमाकुमारीज राजयोग

मनुष्य के 84 जन्मों की अद्-भुत कहानी

 मनुष्यात्मा सारे कल्प में अधिक से अधिक कुल 84 जन्म लेती है, वह 84 लाख योनियों में पुनर्जन्म नहीं लेती | मनुष्यात्माओं के 84 जन्मों के चक्र को ही यहाँ 84 सीढ़ियों के रूप में चित्रित किया गया है | चूँकि प्रजापिता ब्रह्मा और जगदम्बा सरस्वती मनुष्य-समाज के आदि-पिता और आदि-माता है, इसलिए उनके 84 […]Read More

ब्रहमाकुमारीज राजयोग

प्रभु मिलन का गुप्त युग—पुरुषोतम संगम युग

भारत में आदि सनातन धर्म के लोग जैसे अन्य त्यौहारों, पर्वो इत्यादि को बड़ी श्रद्धा से मानते है, वैसे ही पुरुषोतम मास को भी मानते है | इस मास में लोग तीर्थ यात्रा का विशेष महात्म्य मानते है और बहुत दान-पुन्य भी करते है तथा आध्यात्मिक ज्ञान की चर्चा में भी काफी समय देते है […]Read More

ब्रहमाकुमारीज राजयोग

सृष्टि रूपी उल्टा आ अदभुत वृक्ष और उसके बीजरूप परमात्मा

भगवान ने इस सृष्टि रूपी वृक्ष की तुलना एक उल्टे वृक्ष से की है क्योंकि अन्य वृक्षों के बीज तो पृथ्वी के अंदर बोये जाते है और वृक्ष ऊपर को उगते है परन्तु मनुष्य-सृष्टि रूपी वृक्ष के जो अविनाशी और चेतन बीज स्वरूप परमपिता परमात्मा शिव है, वह स्वयं ऊपर परमधाम अथवा ब्रह्मलोक में निवास […]Read More

ब्रहमाकुमारीज राजयोग

एक महान भूल – परमात्मा सर्व व्यापक नहीं है

यह कितने आश्चर्य की बात है कि आज एक और तो लोग परमात्मा को ‘माता-पिता’ और ‘पतित-पावन’ मानते है और दूसरी और कहते है कि परमात्मा सर्व-व्यापक है, अर्थात वह तो ठीकर-पत्थर, सर्प, बिच्छू, वाराह, मगरमच्छ, चोर और डाकू सभी में है ! ओह, अपने परम प्यारे, परम पावन, परमपिता के बारे में यह कहना […]Read More

ब्रहमाकुमारीज राजयोग

शिव और शंकर में अन्तर

  बहुत से लोग शिव और शंकर को एक ही मानते है, परन्तु वास्तव में इन दोनों में भिन्नता है | आप देखते है कि दोनों की प्रतिमाएं भी अलग-अलग आकार वाली होती है | शिव की प्रतिमा अण्डाकार अथवा अंगुष्ठाकार होती है जबकि महादेव शंकर की प्रतिमा शारारिक आकार वाली होती है | यहाँ […]Read More

ब्रहमाकुमारीज राजयोग

परमत्मा का दिव्य

परमत्मा का दिव्य – अवतरणशिव का अर्थ है – ‘कल्याणकारी’ | परमात्मा का यह नाम इसलिए है, वह धर्म-ग्लानी के समय, जब सभी मनुष्य आत्माएं माया (पाँच विकारों) के कर्ण दुखी, अशान्त, पतित एवं भ्रष्टाचारी बन जाती है तब उनको पुन: पावन तथा सम्पूर्ण सुखी बनाने का कल्याणकारी कर्तव्य करते है | शिव ब्रह्मलोक में […]Read More

ब्रहमाकुमारीज राजयोग

परमपिता परमात्मा और उनके दिव्य कर्तव्य

परमपिता परमात्मा और उनके दिव्य कर्तव्यसामने परमपिता परमात्मा ज्योति-बिन्दु शिव का जो चित्र दिया गया है, उस द्वारा समझाया गया है कि कलियुग के अन्त में धर्म-ग्लानी अथवा अज्ञान-रात्रि के समय, शिव सृष्टि का कल्याण करने के लिए सबसे पहले तीन सूक्ष्म देवता ब्रह्मा, विष्णु और शंकर को रचते है और इस कारण शिव ‘त्रिमूर्ति’ […]Read More

ब्रहमाकुमारीज राजयोग

निराकार परम पिता परमात्मा और उनके दिव्य गुण

निराकार परम पिता परमात्मा और उनके दिव्य गुण निराकार परम पिता परमात्मा और उनके दिव्य गुणप्राय: सभी मनुष्य परमात्मा को ‘हे पिता’, ‘हे दुखहर्ता और सुखकर्ता प्रभु’, (O! Heavenly God-Father) इत्यादि सम्बन्ध-सूचको शब्दों से याद करते है | परन्तु यह कितने आश्चर्य की बात है कि जिसे वे ‘पिता’ कहकर पुकारते है उसका सत्य और […]Read More

ब्रहमाकुमारीज राजयोग

तीन लोक कौन से है और शिव का धाम कौन

तीन लोक कौन से है और शिव का धाम कौन सा है ?मनुष्य आत्माएं मुक्ति अथवा पूर्ण शान्ति की शुभ इच्छा तो करती है परन्तु उन्हें यह मालूम नहीं है कि मुक्तिधाम अथवा शान्तिधाम है कहाँ ? इसी प्रकार, परमप्रिय परमात्मा शिव से मनुष्यात्माएं मिलना तो चाहती है और उसी याद भी करती है परन्तु […]Read More

ब्रहमाकुमारीज राजयोग

आत्मा क्या है और मन क्या है ?

आत्मा क्या है और मन क्या है ? आत्मा क्या है और मन क्या है ?अपने सारे दिन की बातचीत में मनुष्य प्रतिदिन न जाने कितनी बार ‘ मैं ’ शब्द का प्रयोग करता है | परन्तु यह एक आश्चर्य की बात है कि प्रतिदिन ‘ मैं ’ और ‘ मेरा ’ शब्द का अनेकानेक […]Read More